ईरान से लिफ्ट किए गए 289 भारतीय नागरिकों को जैसलमेर के आइसोलेशन सेंटर में रखा गया है। इन्हें कोरोना संदिग्ध मानते हुए एहतियात के तौर पर इन सभी को 14 दिन के लिए यहां रखा गया है। एक माह पहले सेना की दक्षिणी कमान के मुख्यालय से यहां आइसोलेशन वार्ड बनाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद सेना ने अपनी दो यूनिट को शिफ्ट करके यहां आइसोलेशन वार्ड बनाया है। सेना ने इसे वेलनेस सेंटर के नाम से बनाया है। यह सेंटर हाइटेक फैसेलिटी से लैस है।
सेन के मुताबिक,जब आइसोलेशन वार्ड बनाने की तैयारी के निर्देश मिले तो जैसलमेर में तैनात दो सैन्य यूनिटों को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया। उस बिल्डिंग को आइसोलेटेड वार्ड के रूप में विकसित किया। इस सेंटर में एक हजार से अधिक लोगों के रुकने का इंतजाम किया गया है। सेंटर पूरी तरह से आइसोलेटेड है। बाहर का आदमी अंदर देख तक नहीं सकता है। चारों तरफ से इसे बंद किया गया है। साथ ही, इसके चारों तरफ सुरक्षा के लिए जवानों को तैनात किया गया है।
20 लोगों पर 7 लोगों का हेल्थ स्टाफ
यह आइसोलेशन सेंटर करीब एक किलोमीटर इलाके में फैला हुआ है। यहां करीब 40 कमरों के अलावा जवानों के रहने के लिए निर्मित बैरक को भी वेलनेस सेंटर का हिस्सा बनाया गया है। वहां पर भी सुविधाएं जुटाई गई है। एक माह पूर्व सेना की दक्षिणी कमान के पूणे स्थित मुख्यालय से ऐसा सेंटर तैयार करने के निर्देश मिले थे। जैसलमेर शहर के बाहरी छोर पर जोधपुर रोड पर बनाए इस आइसोलेशन सेंटर को हाइटेक हेल्थ फैसेलिटी से भी लैस किया गया है। यहां पर उम्र के आधार पर लोगों को अलग-अलग कमरों में रखा जा रहा है। हर कमरे में 18 से 20 लोगों को रखा गया है। हर कमरे पर एक डॉक्टर, छह नर्सिंग व अन्य कर्मचारियों को तैनात किया गया है। इन डॉक्टरों व कर्मचारियों को दक्षिण कमान के मुख्यालय पूना व जोधपुर से यहां तैनात किया गया है।